News Post : चिकित्सा सेवा क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु, डॉ आशीष मौर्य का इंडिया ग्लोरी बुक ऑफ रिकॉर्ड में हुआ नाम दर्ज
News Post Details : फरीदाबाद : उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिला कादीपुर तहसील के एक छोटे से ग्राम सभा मालापुर चंदौली में डॉ आशीष मौर्य ,चेयरमैन नवजीवन चैरिटेबल ट्रस्ट, जन्म 24 जनवरी 1982 में हुआ, प्रारंभिक शिक्षा अपने जिले से पूरी करने के उपरांतआगे की पढ़ाई के लिए हरियाणा के फरीदाबाद जिले में सेक्टर 23 अपनी बड़ी बहन के यहां आकर की, डॉ बनने के सपने को लेकर नवीनतम हर्बल चिकित्सा पद्धति, प्राकृतिक चिकित्सा में डिग्री हासिल की, डिग्री के उपरांत अपने गृहस्थ जीवन की तरफ अग्रसर होने लगा, साथ अपने प्रैक्टिस में व्यस्त रहने लगा समय बीतता गया, एक से दो, दो से तीन, जगह प्रैक्टिस होने के उपरांत मन में हमेशा सोच थी कि शुरुआती दौर में सामाजिक स्तर पर कार्य करते हुए अखिल भारतीय मौर्य महासभा हरियाणा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया,, गया साथ ही साथ सामाजिक कार्यों को करते हुए एक बड़े ट्रस्ट की जिम्मेदारी भी मुझे चेयरमैन के रूप में मिली,,, इसी बैनर के नीचे अब तक ढाई सौ से ज्यादा मुफ्त चिकित्सा शिविर, ब्लड डोनेशन कैंप, स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम, झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों के लिए माता सावित्री फुले शिक्षण संस्थान के तहत मुफ्त चिकित्सा शिक्षा देने का कार्य, रोजगार उपलब्ध करवाना ,कैंसर, टीवी जैसी
घातक बीमारियां के लिए जगह-जगह स्लम क्षेत्रों में जाकर बीमारी से संबंधित जागरूकता अभियान चलाना, दिव्यांग बच्चों की सहायता के लिए कार्य करना और के स्वास्थ्य संबंधी कार्यों में सहायता करता,, बाल मजदूरी निषेध जैसे कानून को लोगों में जागरूकता के तहत बताना की बाल मजदूरी एक अपराध है,
मेरी एक सोच है कि कोई भी गरीब पैसे के चलते उसकी कमी की वजह से मौत के मुंह तक ना जाए,,,एक गरीब वर्ग का सहयोग हो सके के बारे में जागरूक करने का कार्य में करता रहा, इन्हीं कार्यों के चलते विभिन्न क्षेत्रों में हरियाणा सरकार ,भारत सरकार, शासन प्रशासन के जरिए समाज गौरव सम्मान, शहर का हीरो, राष्ट्रीय रत्न अवॉर्ड ,समाज के गौरव, न जाने कितने सम्मान से मुझे अब तक नवाजा गया
कहते हैं हर इंसान के अग्रसर होने के पीछे किसी न किसी का हाथ होता है तो मेरे जीवन में भी सही हुआ गरीब असहाय व पीड़ितों की सेवा करना खासकर अपने क्षेत्र में रहकर एक डॉक्टर के तौर पर होते हुए अपने बिजी समय में से समय निकालकर ,अपना मानव धर्म समझकर उनके लिए कदम बढ़ाने लग गया,
इन सब कार्यों में मेरे प्रेरणा के स्रोत मेरे परम पूज्य माता, पिता श्री राम सिद्ध मौर्य,के साथ,, रिश्तेदार व परिवार व खास लोगों का बहुत बड़ा योगदान रहा,, जिन्होंने हमेशा हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी,, इन सब के आशीर्वाद से सहयोग से मार्गदर्शन से स्वास्थ्य के क्षेत्र में रहकर गरीब असहाय कैंसर पीड़ित की सहायता करने एक जज्बा जागा,,
अपनी एक सोच है हर कोई इंसान अपने कार्यों के साथ कुछ समय समाज के हर वर्ग के लोगों के लिए भी दे, जिन्हें वास्तव में जरूरत है असहाय गरीब पीड़ित दिव्यांग कैंसर पीड़ित का सहयोग करें,, स्वास्थ्य के क्षेत्र में किसी भी तरीके का कभी भी किसी भी तरह का योगदान मेरे तरफ से हमेशा रहता है और इन कार्यों के लिए मैं हमेशा तत्पर रहता हूं |
गरीब असहाय पीड़ित के लिए भी कुछ कार्य करना चाहिए,चिकित्सा क्षेत्र से संबंध रखने की वजह से प्रैक्टिस से बिल्कुल समय नहीं मिलता था, जिसकी वजह से ऐसे लोगों की सहायता करना मुश्किल हो जाता था, जिस समाज व देश में जन्म लिया उसके लिए भी कुछ अलग करने का जज्बा बचपन से ही था, पर परिस्थितियां हमेशा विपरीत होती हैं और कर ना सका इस सपने को लेकर आगे बढ़ता रहा और ठान लिया अपने जो खुद का आराम करने का समय होता है, उस समय को इन लोगों के लिए कार्य करूंगा और निकल पड़ा अपने व्यस्ततम समय में से भी समय निकाल कर गरीब पीड़ित कैंसर पीड़ित की सहायता के लिए,,